धृतराष्ट्र : “मैं बहुत खुश हूँ प्रिये, तुमने मुझे 100 पुत्र दिये।”
गंधारी: “ये संभव ना होता स्वामी, अगर आप अंधे ना होते।”
धृतराष्ट्र: “क्या मतलब ? क्या ये सौ पुत्र मेरे नहीं हैं तो किसके है?”
गांधारी: “क्या पता? मैनें भी ते आखों पर पट्टी बाँध रखी है !