क्या सोशल मीडिया पर बच्चों की तस्वीरें डालना सही है?

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आजकल हर माँ-बाप अपने बच्चों की तस्वीरें सोशल मीडिया पर शेयर करते हैं। बच्चे की पहली मुस्कान, पहला स्कूल डे, या कोई प्यारा सा वीडियो — हमें लगता है कि यह पल सबको दिखाना चाहिए। लेकिन क्या आपने कभी सोचा है कि ऐसा करना हमेशा सही है या नहीं?

आइए, इस पर थोड़ा दिल से सोचते हैं।

Social Media Parenting Tips in Hindi

👶 1. यादें पहले एलबम में होती थीं, अब इंटरनेट पर हैं

पहले हम तस्वीरें छपवाकर एलबम में रखते थे। अब हम उन्हें फेसबुक, इंस्टाग्राम या व्हाट्सऐप पर डाल देते हैं। फर्क बस इतना है कि एलबम घर में रहता था, पर सोशल मीडिया की तस्वीरें हर जगह जा सकती हैं।
एक बार जब कोई फोटो इंटरनेट पर चली जाती है, तो उसे पूरी तरह हटाना लगभग नामुमकिन होता है

🌐 2. फोटो सिर्फ “प्यारा पल” नहीं होती, एक “डेटा” भी होती है

जब हम अपने बच्चों की फोटो ऑनलाइन डालते हैं, तो वह सिर्फ एक तस्वीर नहीं होती — वो उनके बारे में एक जानकारी (data) भी होती है।

bacchon ki parvarish
Social Mrdia Parenting Tips

कई बार तस्वीर से यह पता लगाया जा सकता है कि बच्चा कहाँ रहता है, किस स्कूल में पढ़ता है, या कहाँ घूमने गया था।
यह जानकारी गलत हाथों में चली जाए, तो परेशानी हो सकती है।

💬 3. बच्चा बड़ा होकर क्या सोचेगा?

जब बच्चा बड़ा होगा और अपनी पुरानी तस्वीरें इंटरनेट पर देखेगा, तो शायद उसे अच्छा न लगे।
सोचिए — कोई उसकी ऐसी तस्वीर देख ले, जो वो अब नहीं चाहता कि लोग देखें।
इसलिए जब भी हम कोई फोटो डालें, तो सोचें — क्या यह फोटो भविष्य में बच्चे को परेशान कर सकती है?

🔐 4. अगर शेयर करना ज़रूरी लगे तो ध्यान रखें ये बातें

कभी-कभी हमें बच्चे की तस्वीर शेयर करने का मन करता है — कोई बात नहीं, लेकिन थोड़ी सावधानी ज़रूरी है।

  • लोकेशन ऑन न रखें जब फोटो पोस्ट करें।
  • स्कूल या घर का नाम फोटो में न दिखे।
  • अकाउंट की प्राइवेसी सेटिंग्स चेक करें — ताकि फोटो सिर्फ भरोसेमंद लोग ही देखें।
  • फोटो डालने से पहले बच्चे से पूछें (अगर वह थोड़ा समझदार है) — “बेटे/बेटी! क्या मैं यह डाल दूँ?”

🌱 5. डिजिटल पैरेंट बनना ज़रूरी है

आज का समय “डिजिटल पैरेंटिंग” का है। इसका मतलब यह नहीं कि बच्चों को सिर्फ फोन से दूर रखें, बल्कि यह भी सिखाएँ कि इंटरनेट पर क्या सही है और क्या नहीं। ध्यान रखें कि जब वो इंटरनेट इस्तेमाल कर रहा है तो क्या कर रहा है।

अच्छी चीज़ें इस्तेमाल करने दें, जैसे नैतिक शिक्षा वाली कहानियां पढ़ना – जैसे हमने अपने इस Moral Story page पर पोस्ट कर रखा है, इससे वो नैतिक शिक्षाएं हांसिल करेगा/करेगी।
जब बच्चा देखता है कि उसके माता-पिता सोच-समझकर कुछ पोस्ट करते हैं, तो वह भी यही सीखता है।

💡 6. हर मुस्कान को दिखाना ज़रूरी नहीं

कुछ पल ऐसे होते हैं जो सिर्फ हमारे और हमारे बच्चों के बीच के लिए खास होते हैं।
हर चीज़ सोशल मीडिया पर डालने से उस पल की मिठास कम हो जाती है।
कुछ यादें दिल में और एलबम में रखना ही सबसे अच्छा होता है।

📸 7. तस्वीर की जगह कहानी

अगर आप बच्चे के खास पल को शेयर करना चाहते हैं, तो उसकी कहानी लिखिए।
जैसे — “आज मेरी बेटी ने पहली बार खुद अपनी जूती बाँधी।”
ऐसी बातें पढ़ने में भी प्यारी लगती हैं और बच्चे की प्राइवेसी भी सुरक्षित रहती है।

100 बात की एक बात

सोशल मीडिया पर बच्चों की तस्वीरें डालना गलत नहीं है, लेकिन सोच-समझकर डालना ज़रूरी है।
बच्चे की मुस्कान हमें बहुत प्यारी लगती है, पर उसकी सुरक्षा और इज़्ज़त उससे भी ज़्यादा अहम है।
इसलिए अगली बार फोटो पोस्ट करने से पहले बस एक पल रुकिए और सोचिए —
क्या यह फोटो मैं अपने लिए डालता?”
अगर हाँ, तो जरूर डालिए।
अगर नहीं, तो उस पल को बस अपने दिल में सहेज लीजिए।


अंत में मेरी राय:
हर फोटो को दुनिया से नहीं, कुछ पलों को सिर्फ अपने दिल और अपने परिवार से साझा कीजिए — वही असली खुशी है।



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