तिलक क्यों लगायें ? जानिए तिलक का महत्व को

Share with Love

आज्ञा चक्र के एक और दायी भोह के नीचे असि नाड़ी होती है, जो पूर्व जन्म के पापों की निवारक है तथा दूसरों और बायीं भोंह के नीचे वर्णा – नाडी है. जो इन्द्रियकृत दोषों की नाशक है, इन दोनों नाड़ियों के संगम बिंदु पर स्थित आज्ञा चक्र को निर्मल और विवेकशील बनाये रखने के उद्देश्य से यह प्रथा प्रारंभ हुई.

किसी शुभ अवसर पर तिलक लगाते समय यह भावना रहती है कि प्रत्येक कार्य करते समय मेरा धार्मिक सद्भाव बना रहे. मैं अपना प्रत्येक कार्य न्यायपूर्वक करूँ. यदि हम कुछ समय के लिए यह बात भूल भी जाते है तो अपने या दूसरे के माथे पर लगे तिलक को देखकर हमें अपना संकल्प याद आ जाता है, जो नकारात्मक प्रवृतियों से हमारा बचाव करता है. इस तरह तिलक हम विशेष अवसर की स्मृति से जोड़े रखने में सहायक होता है. तिलक धारण करने वाला दूसरे में एवं स्वयं में भी देवत्व की भावना का संचार करता है. तिलक हमारे माथे को शीतलता देकर हमारी रक्षा करता है और ऊर्जा की हानि होने से रोकता है. फलस्वरूप आत्मविश्वास की वृद्धि के साथ ही, मन निर्मल व सत्पथ पर अग्रसर होने के लिए प्रेरित होता है.