Mata Sita Shraap: माता सीता का दिया श्राप आज भी भुगत रहे हैं ये 3 लोग

Share with Love

Mata Sita Shraap: माता सीता का दिया श्राप आज भी भुगत रहे हैं ये 3 लोग. A relegious truth about mata Sita and Ram with Lakshman When Raja Dashrath dies in Ayodhya in Satya Yug.

 

  • वनवास के दौरान जब प्रभु श्री राम को अपने पिता राजा दशरथ की मृत्यु का पता चला तो उनका पिंडदान करने की तैयारी करने लगे.
  • फिर पिंडदान के लिए भगवान राम और लक्ष्मण जी जरूरी सामग्री इकट्ठा करने चल दिए. तभी राजा दशरथ की आत्मा ने सीता जी से कहा कि पिंडदान का समय निकल रहा है
  • चूंकि भगवान राम उस समय उपस्थित नहीं थे, इसलिए माता सीता ने स्वयं अपने ससुर राजा दशरथ का पिंडदान करने का निर्णय लिया.
  • तब माता सीता ने फाल्गु नदी के किनारे बैठकर अपने ससुर राजा दशरथ का पिंडदान किया. इस दौरान उन्होंने फाल्गु नदी, गाय, वटवृक्ष और केतकी के फूल को साक्षी बनाया.
  • पिंडदान होने के बाद राजा दशरथ की आत्मा को शांति मिली और मुक्त होकर अपने लोक चले गए. जब श्री राम और लक्ष्मण जी लौटे तो सीता जी ने उन्हें पूरी घटना सुनाई.
  • यह सुनकर प्रभु राम और लक्ष्मण जी को आश्चर्य हुआ तो सीता जी ने चारों साक्षियों को गवाही के लिए बुलाया. लेकिन इनमें से तीन ने झूठ बोल दिया कि उन्हें कुछ नहीं पता.
  • फाल्गु नदी, गाय और केतकी के फूल ने झूठ बोल दिया उन्हें राजा दशरथ की आत्मा और पिंडदान के बारे में कोई जानकरी नहीं है..
  • जिससे क्रोधित होकर सीता ने इन्हें श्राप दिया. उन्होंने फाल्गु नदी को श्राप दिया उसका जल सूख जाएगा.
  • गाय को श्राप मिला कि वह पूजनीय होकर भी भोजन के लिए दर-दर भटकेगी
  • वहीं केतकी के फूल को श्राप दिया कि किसी भी पूजा में इस फूल का इस्तेमाल नहीं किया जाएगा. यह तीनों आज भी माता सीता का दिया श्राप भुगत रहे हैं.